“मां, आओ ना,चलो ना,” नन्ही सी गुनगुन ने मां का पल्लू खींचते हुए बोला। मुस्कुराते हुए दोनों मां बेटी बगीचे में चली गई।गुनगुन हवा में उड़ते हुए रूई की फाहें जैसे सिंहपर्णी के पुष्प से खेलने लगी।
खुशनुमा हवा के झोंके सी है गुनगुन,जो अब लगभग तीन वर्ष की हो चुकी है। इस नन्ही सी परी ने उसके जीवन को रंगों से भर दिया है।अब उसके घर की दीवारें खुशी से गूंजती है।
कौन सोच सकता था की वो छोटी सी कली जो सड़क किनारे एक पॉलिथीन बैग में मिली थी,उसका जीवन बन जाएगी ।
Lovely😍😍😍
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Beautifully expressed……
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Sweeeet…
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